CYBER CERT

Crime Emergency Response Team

तमिलनाडु में दस साल में 1,648 फीसदी बढ़े साइबर अपराध, डिजिटलीकरण है वजह

डिजिटलीकरण, इंटरनेट की पहुंच और मोबाइल फोन के व्यापक उपयोग के परिणामस्वरूप हाल के दिनों में साइबर अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है।

चेन्नई.

तमिलनाडु में पिछले एक दशक से अधिक समय से साइबर अपराध में 1,648 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी। पुलिस और अग्निशमन सेवा विभाग के लिए अनुदान की मांग पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण, इंटरनेट की पहुंच और मोबाइल फोन के व्यापक उपयोग के परिणामस्वरूप हाल के दिनों में साइबर अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है।

स्टालिन ने कहा, वर्ष 2011 में साइबर अपराध की शिकायतों की संख्या 748 थी जबकि 2021 में यह 13,077 थी, जो एक दशक में 1,648 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के मामलों में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वे यह है कि आरोपी ज्यादातर विदेशों से हैं, जो जांच की प्रक्रिया, आरोपियों की गिरफ्तारी और संपत्ति की वसूली को जटिल बनाता है। उन्होंने कहा कि भले ही अभियुक्तों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हों लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रियाओं के कारण शिकायतकर्ता को पैसे वापस करने की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है।

इस समस्या से निपटने के लिए सभी चार जोनों और सेंट्रल अपराध शाखा (सीसीबी) में एक टीम के अलावा 11 ग्रेटर चेन्नई थानों में साइबर अपराध टीमों का गठन किया गया है। साथ ही 85.69 रुपए के कुल खर्च पर सेंट्रल अपराध शाखा (सीसीबी) से प्रशिक्षण और जांच सहायता भी इन टीमों को दी जा रही हे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक तर्ज पर जांच करने के लिए सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 6.90 करोड़ रुपए की लागत से हाई एंड फॉरेंसिक वर्क स्टेशन, ***** फोरेंसिक, मोबाइल फोरेंसिक और सोशल मीडिया टूल के साथ साइबर फोरेंसिक लैब की स्थापना की गई है।

स्टालिन ने कहा कि साइबर अपराध दस्ते के निर्बाध प्रयासों के कारण पिछले कुछ महीनों में ही शिकायतकर्ताओं को 6.75 करोड़ रुपए वापस भी कर दिए गए हैं।

एटीएम या क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के मामले अधिक
साइबर अपराध की प्रकृति पर नजर डालें, तो सबसे ज्यादा एटीएम या क्रेडिट कार्ड के फ्रॉड से जुड़े मामले ही हुए हैं यानी जिनमें लोगों से ठगी कर आसानी से पैसे निकाले जा सकें।

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