नर्स के अकाउंट से करीब 28 लाख रुपए की ठगी के मामले में पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने ठगे हुए रुपए रिकवर कर लिए है। साइबर क्राइम के मामले में ऐसा पहली बार हुआ जब रुपयों को रिकवर किया गया है। हालांकि एक आरोपी की गिरफ्तारी अभी भी बाकी है।
चित्तौड़गढ़ शहर कोतवाली थानाधिकारी मोतीराम सारण ने बताया कि ICICI बैंक की कर्मचारी अक्षिता भट्ट (24) पत्नी रवि जोशी ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर एक रिटायर्ड नर्स गांधीनगर निवासी तरुणा पारीक के साथ ठगी की वारदात की थी। सभी ने एकाउंट से 41 लाख रुपए निकालने की कोशिश की थी। लेकिन 13 लाख जल्दी से फ्रिज करने के बाद ठगों ने एकाउंट से 27 लाख 22 हजार 697 रुपए निकाल लिए थे।
अलग-अलग एप पर किया इन्वेस्टमेंट
थानाधिकारी सारण ने कहा कि मामले में अक्षिता के साथ पुठोली निवासी प्रहलाद (21) पुत्र शंभू लाल सुवालका, देहली गेट हाल दुर्ग निवासी विनोद (25) पुत्र बाबूलाल सालवी, कोटा निवासी केशव गौतम को गिरफ्तार कर चुके थे। कुछ दिनों बाद गांधीनगर निवासी करण सिंह पुत्र चतर सिंह भी पकड़ में आ गया था। पूछताछ के दौरान पता चला कि आरोपियों ने मिलकर सेफ गोल्ड एप्लीकेशन से 5 लाख रुपए के गोल्ड खरीदे। इसके बाद जबलपुर की एक कंपनी म्यूटेशन एंड सॉल्यूशन में 20 लाख रुपए जमा किए। इसके अलावा अमेजॉन में एक लाख रुपए जमा के अलावा मोबिक एप में भी इन्वेस्ट करने के बाद बाकी के रुपयों से शॉपिंग कर ली। थानाधिकारी ने बताया कि पुलिस को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने पहले उच्च अधिकारियों को सूचना दी। जिस पर एसपी प्रीति जैन के निर्देश पर रुपयों को रुकवा दिया और दुबारा आरोपियों के खातों में ही रुपयों का ट्रांसफर करवाया। आरोपियों के खाते से रुपए निकलवाकर पुलिस ने पीड़िता को लौटा दिया। इस तरह साइबर क्राइम के मामले में पुलिस की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है। हालांकि इस मामले में एक आरोपी विकास मेनारिया की गिरफ्तारी के साथ साथ कई अन्य मामले खुलने बाकी है।
कई अधिकारियों से की पूछताछ
पुलिस ने इससे पहले चित्तौड़गढ़ के ICICI और जयपुर के ICICI बैंक के अधिकारियों से पूछताछ की है। माना जा रहा है कि उस तरह की शहर में अन्य कई ठगी में आरोपियों का हाथ हो सकता है जिनका खुलासा बाकी है। सभी आरोपी पहले मिलकर प्लानिंग करते हैं और जिस के अकाउंट से ठगी करनी होती है उसका मोबाइल चुराकर नई सिम कार्ड बनवा कर एकाउंट से रुपए ट्रांसफर कर लेते है।