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भभुआ: साइबर क्राइम के शिकार को वापस मिला 9.40 लाख, बैंक अधिकारियों की थी मिलीभगत

संवाद सहयोगी, मोहनियां: वैसे तो कई बैंक के ग्राहक साइबर अपराध के शिकार हुए हैं। बैंक से क्लोन चेक के माध्यम से अपराधियों ने लाखों रुपए ग्राहकों के खाते से गायब किए हैं। जिसमें सरकारी कार्यालय भी शामिल हैं। मोहनियां के बैंक आफ बड़ौदा की शाखा का नाम इसमें सबसे आगे है। बैंक के पदाधिकारियों की मिलीभगत से अपराधी ऐसा कृत्य करते रहे हैं। बीते वर्ष दस अक्टूबर को अपराधियों ने महाराणा प्रताप कालेज के उप प्राचार्य डा. श्याम बिहारी सिंह के बैंक आफ बड़ौदा मोहनियां शाखा के खाते से क्लोन चेक बना कर 9.40 लाख रुपए उड़ा लिए थे। 

पांच दिन के अंतराल में अपराधियों ने इतना बड़ा खेल किया था। पांच अक्टूबर को साढ़े सात लाख रूपए व 10 अक्टूबर को एक लाख नब्बे हजार रुपए आरटीजीएस के माध्यम से गायब हुआ था। जब उन्हें इस बात का पता चला तो उनके होश उड़ गए। उनका आरोप था कि बैंक के पदाधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से ऐसा हुआ है। इसके बाद उन्होंने 26 अक्टूबर को मोहनियां थाना में मामला दर्ज कराया।

बीओबी के तीन पदाधिकारियों व दो कर्मियों को पाया गया दोषी 

पुलिस ने गंभीरता से मामले की जांच पड़ताल शुरू की। जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि डा. श्याम बिहारी सिंह का आरोप सही है। बैंक आफ बड़ौदा के पदाधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से ही साइबर अपराधी क्लोन चेक के माध्यम से खाते से लाखों रुपए उड़ा रहे हैं। जांचोपरांत पुलिस ने बीओबी के तीन पदाधिकारियों व दो कर्मियों को दोषी पाते हुए उनके गिरफ्तारी का आदेश जारी किया। इसके बाद से सभी आरोपी फरार हैं। अब तक पुलिस को उनकी सुराग नहीं मिला है। लेकिन पुलिस की सख्ती से पहली बार साइबर अपराधियों के शिकार ग्राहक को बैंक ने पैसा लौटाया है।

सीजीएम कोर्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा ने जमा किया चेक

 गिरफ्तारी के डर से फरार बैंक के पदाधिकारियों व कर्मियों की समस्या को देख बैंक के वरीय पदाधिकारियों ने पहल की। सोमवार को भभुआ के सीजीएम के न्यायालय में बैंक के द्वारा डा. श्याम बिहारी सिंह के नाम से दो चेक जमा किया। न्यायालय के आदेश पर मोहनियां के थानाध्यक्ष ललन कुमार ने उस चेक को डा. श्याम बिहारी सिंह को सौंपा। जिससे साइबर अपराध के शिकार प्रो. सहित कालेज के सभी शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। 

मामला दर्ज नहीं कराते तो पैसा मिलना संभव नहीं था

इस संबंध में उप प्राचार्य ने बताया कि अगर वे बैंक के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराते तो पैसा मिलना संभव नहीं था। उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा डूब जाता। प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद पुलिस की सख्ती से सौ दिन में ही साइबर अपराधियों द्वारा उनके खाता से गायब किए गए 9.40 लाख रुपए को बैंक के पदाधिकारियों ने उनको चेक के माध्यम से लौटा दिया है। अब वे इतने दिन के सूद के पैसे की मांग कर रहे हैं। नहीं मिलने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। सौ दिन तक उनके खाते से 9.40 लाख रूपए गायब रहा। इसका सूद भी बैंक को देना होगा।

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