CYBER CERT

Crime Emergency Response Team

ठगी का नया तरीका: मोबाइल सिम पोर्ट करवाकर ठगा

धोखे से मोबाइल नंबर और दस्तावेज जुटाए और फिर उनके आधार पर मोबाइल सिम पोर्ट करवाकर दूसरी सिम जारी कराई और फिर इससे जुड़े बैंक खातों से ठगी करने का नया मामला सामने आया है। 

जयपुर पुलिस ने इस मामले में पश्चिमी बंगाल के जोयपुर, कालीताला निवासी सुजोय कर्मकार को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसके पास से दो मोबाइल हैंडसेट, दो मोबाइल सिम, एक लेपटॉप, दो बैंक खातों की पासबुक, पांच चैक बुक्स भी बरामद किए हैं। उसे ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पुलिस मंगलवार को जयपुर पहुंची। 

पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने बताया कि आरोपी ठग के कब्जे से दो मोबाइल फोन, एक लेपटाॅप, दो बैंक खाता पासबुक, पांच चैक बुक व दो मोबाइल सिम बरामद की है। सुजोय स्नातक व डिप्लोमाधारी होने से कम्प्यूटर इंटरनेट का अच्छा जानकार है एवं गांव में ही लोकमित्र की दुकान चलाता है। 

सुजोय अपनी दुकान पर इंटरनेट एवं लोकमित्र संबंधी कार्य करवाने के लिए आने वाले लोगों के आईडी प्रूफ जैसे डाॅक्यूमेंट की कापी रख लेता था। इसके बाद वह जिसकी आईडी होती उसके मोबाइल नंबर जुटाता। इस आईडी के आधार पर व्यक्ति के मोबाइल नंबर को दूसरी मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी में पोर्ट करवाने के लिए आवेदन करता। मोबाइल नंबर पोर्ट होने के बाद उससे जुड़े खातों से रकम उड़ा लेता। गौरतलब है कि बैंक से जुड़े होने के कारण ओटीपी भी उसे मिल जाता था। 

जयपुर में नवदुर्गा कॉलोनी, सोडाला निवासी सुकुमार बोधक ने 11 मार्च को सोडाला थाना, जयपुर में मुकदमा दर्ज करवाया कि 27 फरवरी से उसका मोबाईल नम्बर खराब चल रहा है। जब वह एक्सेस बैंक गया तो उसे पता चला कि उसके बैंक खाते से 28 फरवरी को एक लाख अठ्ठारह हजार रुपए पेटीएम व ई-पेमेंट के जरिये आॅन लाईन ट्रांजेक्शन कर निकाले गए है।

अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर प्रफुल्ल कुमार के मुताबिक डीसीपी क्राइम ​डॉक्टर विकास कुमार के निर्देशन में क्राइम ब्रांच में शामिल सबइंस्पेक्टर मनोज कुमार, हैडकांस्टेबल रतनदीप कांस्टेबल लक्ष्मीकांत को अनुसंधान में लगाया। तब जानकारी मिली कि पीड़ित सुकुमार के बैंक खाते से पेटीएम में 58,800 रुपए व ई—पेमेंट के जरिए 59,400 रुपए का आॅनलाइन ट्रांजेक्शन किया गया है। 

आरोपी सुजोय द्वारा फर्जी तरीके से परिवादी सुकुमार के मोबाइल नम्बर की सिम लेकर विभिन्न ई-वाॅलेट उक्त फर्जी आई.डी. के सिम नम्बरों को उपयोग में लेने का पता चला। इसके बाद पुलिस टीम पश्चिम बंगाल भेजी गई। जहां से उसे 14 अप्रैल को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने ठगी करना  स्वीकार कर लिया।

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